भारत की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया (VI) गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है और 2026 तक अपने परिचालन को बंद करने की कगार पर पहुंच चुकी है। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर सरकार से अपने ₹83,400 करोड़ के समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया में छूट की मांग की है। VI ने चेतावनी दी है कि यदि यह राहत नहीं मिली, तो वह मार्च 2026 के बाद परिचालन जारी नहीं रख पाएगी। इस संकट ने 20 करोड़ से अधिक VI ग्राहकों के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है।
क्या है AGR और क्यों है VI संकट में?
समायोजित सकल राजस्व (AGR) वह राशि है, जो टेलीकॉम कंपनियों को लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में सरकार को देनी होती है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने AGR की परिभाषा को व्यापक कर दिया, जिसमें गैर-टेलीकॉम आय को भी शामिल किया गया, जिससे VI और अन्य टेलीकॉम कंपनियों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ गया। VI को मार्च 2026 से हर साल ₹18,000 करोड़ का भुगतान करना होगा, जो कंपनी की वार्षिक परिचालन नकदी (₹8,400-9,200 करोड़) से कहीं अधिक है।
कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, “बिना बैंक फंडिंग के, वोडाफोन-आइडिया 2025-26 के बाद परिचालन नहीं कर पाएगी, क्योंकि यह DoT की मांग के अनुसार ₹18,000 करोड़ की AGR किश्त का भुगतान करने में असमर्थ है।” इसके अलावा, VI ने पिछले पांच वर्षों में 4 करोड़ से अधिक ग्राहकों को खो दिया है और भारी नुकसान का सामना कर रही है। दिसंबर 2024 तक कंपनी का कुल कर्ज ₹2.3 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है, जिसमें ₹77,000 करोड़ AGR बकाया और ₹1.4 लाख करोड़ स्पेक्ट्रम देनदारी शामिल है।
VI के बंद होने का क्या होगा असर?
यदि VI अपने परिचालन को बंद करती है, तो इसका भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र और ग्राहकों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। कंपनी ने चेतावनी दी है कि:
- 20 करोड़ ग्राहकों का भविष्य अनिश्चित: VI के 200 मिलियन ग्राहकों को अपनी सेवाएं बंद होने पर अन्य प्रदाताओं जैसे रिलायंस जियो, भारती एयरटेल या बीएसएनएल की ओर रुख करना होगा। इससे बाजार में जियो और एयरटेल का दबदबा बढ़ जाएगा, जिससे संभावित रूप से टैरिफ में वृद्धि और प्रतिस्पर्धा में कमी आ सकती है।
- 1100 कार्यालय बंद: VI के देशभर में 1100 कार्यालय बंद हो सकते हैं, जिससे कंपनी का परिचालन पूरी तरह ठप हो जाएगा।
- 15,000 कर्मचारियों की नौकरी खतरे में: VI के बंद होने से लगभग 15,000 कर्मचारियों की नौकरी जा सकती है, जिससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न होगी।
- 5 लाख मोबाइल टावर प्रभावित: VI के नेटवर्क से जुड़े 5 लाख मोबाइल टावरों का संचालन रुक सकता है, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी प्रभावित होगी।
- बीएसएनएल बन सकती है तीसरी सबसे बड़ी कंपनी: VI के बंद होने पर सरकारी कंपनी बीएसएनएल निजी क्षेत्र में तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन सकती है, लेकिन यह बाजार में जियो और एयरटेल की एकाधिकार स्थिति को पूरी तरह चुनौती नहीं दे पाएगी।
VI की मांग और सरकार की भूमिका
VI ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि सरकार को ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज (कुल मिलाकर ₹45,000 करोड़) माफ करने का निर्देश दिया जाए। कंपनी ने प्रस्ताव दिया है कि FY19 तक के मूल बकाया ₹17,213 करोड़ को अंतिम माना जाए और शेष ₹7,852 करोड़ को 20 वर्षों में ब्याज-मुक्त किश्तों में चुकाने की अनुमति दी जाए।
सरकार ने पहले 2021 के टेलीकॉम सुधार पैकेज के तहत VI को राहत दी थी, जिसमें ₹36,950 करोड़ के स्पेक्ट्रम बकाया को इक्विटी में परिवर्तित किया गया, जिससे सरकार की हिस्सेदारी 49% हो गई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मई 2025 में VI की ₹45,000 करोड़ की छूट की याचिका खारिज कर दी, जिससे कंपनी की उम्मीदों को झटका लगा।
20 करोड़ ग्राहकों के लिए क्या हैं विकल्प?
VI के ग्राहकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि ग्राहक निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
- पोर्टिंग पर विचार करें: यदि VI की स्थिति में सुधार नहीं होता, तो ग्राहक मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) के माध्यम से जियो, एयरटेल या बीएसएनएल में अपने नंबर को स्थानांतरित कर सकते हैं।
- नेटवर्क की स्थिति पर नजर रखें: VI ने हाल ही में 5G सेवाओं के लिए नोकिया, एरिक्सन और सैमसंग के साथ $3.6 बिलियन के सौदे किए हैं, जो मार्च 2025 तक 5G लॉन्च करने की योजना का हिस्सा हैं। ग्राहकों को कंपनी के नेटवर्क विस्तार पर अपडेट्स के लिए नजर रखनी चाहिए।
- टैरिफ योजनाओं की तुलना करें: जियो और एयरटेल के बढ़ते दबदबे के बीच, ग्राहकों को अन्य प्रदाताओं की योजनाओं की तुलना करनी चाहिए ताकि वे लागत और सेवा की गुणवत्ता के आधार पर बेहतर विकल्प चुन सकें।
क्या है भविष्य?
VI की स्थिति भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। सरकार ने हमेशा तीन निजी खिलाड़ियों (जियो, एयरटेल, VI) और एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी (बीएसएनएल) के साथ एक प्रतिस्पर्धी बाजार को बनाए रखने की नीति पर जोर दिया है। VI के बंद होने से न केवल उपभोक्ता विकल्प सीमित होंगे, बल्कि भविष्य के स्पेक्ट्रम नीलामी और डिजिटल समावेशन पर भी असर पड़ सकता है।
अमбит कैपिटल के विश्लेषकों का मानना है कि यदि सरकार AGR बकाया पर राहत देती है, तो VI को बैंक ऋण प्राप्त करने और अपने ₹50,000-55,000 करोड़ के पूंजीगत व्यय (capex) को पूरा करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने इस संभावना को कमजोर कर दिया है।
निष्कर्ष
वोडाफोन-आइडिया के लिए समय तेजी से खत्म हो रहा है। 20 करोड़ ग्राहकों, 15,000 कर्मचारियों और टेलीकॉम क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा के लिए यह एक निर्णायक क्षण है। VI के ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे स्थिति पर नजर रखें और अपने विकल्पों का मूल्यांकन करें। क्या सरकार VI को बचाने के लिए एक और राहत पैकेज देगी, या भारत का टेलीकॉम बाजार एक डुओपॉली की ओर बढ़ेगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।